नई दिल्ली, पार्टी पॉलिटिक्स डेस्क: चुनाव तो होते रहते हैं। लेकिन क्या आपकों पता है कि एक बार एक गैंडा (Rhinoceros) ने केवल चुनाव लड़ा था, बल्कि इंसानों से भी अधिक वोट हासिल कर जीत भी गया था। हम बात कर रहे हैं वर्ष 1958 में ब्राज़ील (Brazil) के शहर साओ पाउलो में हुए सिटी काउंसिल के चुनाव (Sao Paulo City Council Election 1958) की। उसमें साओ पाउलो चिड़ियाघर (Sao Paulo Zoo) में रहने वाली एक मादा गैंडा ‘काकेरेको’ (Cacareco) ने करीब एक लाख वोट हासिल किए थे। दिलपस्प बात यह कि उसे चुनाव में सर्वाधिक वोट मिले थे। उसे किसी राजनीतिक दल ने नहीं, बल्कि छात्रों और बुद्धिजीवियों के एक समूह ने ब्राजील की राजनीति में व्याप्त भ्रष्टाचार और अक्षमता का विरोध में तथा राजनेताओं से निराशा के प्रतीक के रूप में चुनाव में उतारा था।
काकेरेको को मिले एक लाख वोट
काकेरेको के समर्थन में जबरदस्त चुनाव प्रचार भी किया गया। समर्थकों ने तत्कालीन व्यवस्था पर व्यंग्य भरे पोस्टरों और प्रचार सामग्री का उपयोग किया। कहा कि इंसान राजनेता भरोसे के काबिल नहीं रहे, अब तो गैंडा से ही उम्मीद है। लोगों ने उसे कितनी गंभीरता से लिया यह परिणाम से स्पष्ट हुआ। काकेरेको को करीब एक लाख वोट मिले, जो किसी भी अन्य प्रत्याशी से अधिक थे। सिटी काउंसिल की सीट के चुनाव में यह अभूतपूर्व संख्या थी।
राजनीतिक विरोध की बनी नायिका
तकनीकी तौर पर कहें तो गैंडे ने चुनाव जीत लिया था। लेकिन, कानूनी दृष्टि से उसे पद देना संभव नहीं था। इसीलिए उसे मिले वोटों को अमान्य कर चुनाव परिणाम घोषित किया गया। लेकिन वह घटना ब्राज़ील के लोगों के विरोध और उनकी गहरी निराशा काे सशक्त रूप से दर्शाने में सफल रही। यह भी स्पष्ट हुआ कि आम लोग तत्कालीन राजनीति से कितने ऊब चुके थे। दुनिया में राजनीतिक व्यंग्य और विरोध प्रदर्शन की नायिका बनी वह मादा गैंडा वर्ष 1962 में अपनी मृत्यु तक साओ पाउलो चिड़ियाघर में रही।
