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फिलिस्तीन को स्‍वतंत्र देश की मान्यता देगा फ्रांस, हमास ने कहा वेरी गुड तो भड़का इजरायल



पार्टी पॉलिटिक्‍स डेस्‍क, दिल्‍ली। फ्रांस के राष्‍ट्रपति इमैनुएल मैक्रों (Emmanuel Macron) के इस फैसले से विश्‍व राजनीति (World Politics) में हलचल मच गई है। फ्रांस इसकी घोषणा संयुक्त राष्ट्र महासभा (UN General Assembly) में सितंबर 2025 में करने जा रहा है। हम बात कर रहे हैं फ्रांस (France) द्वारा फिलिस्तीन (Palestine) को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता देने की। राष्ट्रपति मैक्रों ने कहा है कि गाजा (Gaza) में युद्ध का रोककर आम लोगाें की जान बचाना सबसे जरूरी है। फ्रांस द्वारा फिलिस्तीन को एक राज्य के रूप में मान्यता देने से शांति बहाली की संभावना है। 

यह फैसला गाजा में जारी युद्ध पर तेज होती वैश्विक नाराजगी की पृष्‍ठभूूमि में आया है। फ्रांस और सऊदी अरब दो राष्ट्र समाधान के पक्ष में हैं तो ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर (Keir Starmer) का भी मानना है कि फिलिस्तीन को स्‍वतंत्र देश की मान्यता उसका अधिकार है। हालांकि, अमेरिका (USA) इसके विरोध में है।  

ऐसा नहीं कि फ्रांस की यह सोंच नई है। दरअसल, वह बहुत पहले से ऐसा कहता आया है। इसपर इजरायल (Israel) की नाराजगी भी जग-जाहिर है। लेकिन, इस बार लिया गया यह फैसला इजरायल पर कूटनीतिक दबाव बढ़ाता दिख रहा है। फिलिस्‍तीन को अब तक 140 से अधिक देश मान्यता दे चुके हैं, लेकिन फ्रांस ऐसा करने वाला अब तक का सबसे बड़ा यूरोपीय देश बनने जा रहा है। जाहिर है, इजरायल इससे नाराज है।

इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू (Benjamin Netanyahu) ने इसे फ्रांस द्वारा आतंकवाद को इनाम देने जैसा बताया है। उन्‍होंने कहा है कि वर्तमान स्थिति में फिलिस्तीनी राज्य इजरायल के खिलाफ हमले की जमीन बन सकता है। उधर, इजराइल से लड़कर फिलिस्तीन को स्वतंंत्र कराने को प्रयासरत फिलिस्‍तीनी सुन्‍नी मुसलमानों के सैन्य संगठन हमास (Hamasने इसका स्वागत करते हुए इसे उत्पीड़ित फिलिस्तीनी लोगों के लिए न्याय पाने और उनके आत्मनिर्णय के वैध अधिकार का समर्थन करने और उनके सभी कब्जे वाले क्षेत्रों पर एक स्वतंत्र फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना की दिशा में एक सकारात्मक कदम बताया है। फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास (Mahmood Abbas) को इस संबंध में आधिकारिक पत्र सौंपा जा चुका है। फिलिस्तीनी प्राधिकरण ने मैक्रों के इस फैसले का स्वागत किया है। फिलिस्‍तीनी मुक्ति संगठन (PLO) के उपाध्यक्ष हुसैन अल शेख ने कहा है कि यह फैसला फिलिस्तीनी लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार को फ्रांस का समर्थन है। 

लेकिन मैक्रों की घोषणा से इस मुद्दे पर अमेरिका एवं यूरोप के बीच का मतवैभिन्‍य भी सामने आया है। फ्रांस जैसे बड़े यूरोपीय देश द्वारा फिलिस्‍तीन को मान्‍यता देने की घोषणा से अन्‍य यूपरोपीय देश भी इस दिशा में आगे बढ़ सकते हैं। फिलिस्‍तीन को मान्‍यता देने वाले स्‍पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज (Pedro Sanchez), ने मैकों की घोषणा का स्‍वागत किया है। दूसरी ओर अमेरिका ने फ्रांस की घोषणा काे खारिज करते हुए कहा है कि इससे शांति बहाली की प्रक्रिया बाधित होगी। इसके पहले जून में इजरायल में अमेरिकी राजदूत ने कहा था कि अमेरिका एक स्‍वतंत्र फिलीस्‍तीन देश के पक्ष में नहीं है। अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप (Donald Trump) भी शांति बहाली के लिए दो राष्‍ट्रों के सिद्धांत को लेकर संदेह व्‍यक्‍त कर चुके हैं। 

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